"काव्या" का रहस्यवादी कविताओं पर परिसंवाद एवं विभिन्न भाषाओं में काव्य पाठजयपुर, 9 फरवरी। काव्या फाउण्डेशन के तत्वावधान में आयोजित 8 फरवरी से प्रारम्भ दो दिवसीय साहिय समारोह के दूसरे दिन 9 फरवरी को इन्द्रलोक सभागार, नारायणसिंह सर्किल, जयपुर में प्रदेश के प्रतिष्ठित कवियों और विद्वानों द्वारा हिन्दी, राजस्थानी, उर्दू और अंग्रेजी कविताओं में रहस्यवाद पर विस्तृृत परिसंवाद का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. परीक्षित सिंह, सत्यमेव के एमडी पार्थों सान्याल, इकराम राजस्थानी, प्रसिद्ध शायर रजा कासमी, भण्डारी ’नादिर’, इकराम राजस्थानी ने संवाद में हिस्सा लिया।
’काव्या’ संस्था के अन्तर्राष्ट्रीय संस्थापक अध्यक्ष डॉ. परीक्षित सिंह ने अपने अंग्रेजी कविता संग्रह ’परमहंस’ में से कुछ कविताओं का पाठ करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि रहस्यवाद की कविता का अर्थ मनुष्य का मनुष्य से साक्षात्कार या संवाद करना है। अपने भीतर छुपी आत्मा उस आवाज को पहचानना है, जिसको शब्दों के बंधन में नहीं बांधा जा सकता बल्कि उसके मर्म को आत्मानुभूत करना है। ये कविताएं प्रेम, भीतर के सौन्दर्य, विश्वास, करूणा और सद््भाव का संदेश देती हैं। इन कविताओं में भाषा, लिंग या वर्ग का कोई बंधन नहीं होता बल्कि वे सामाजिक और सनातन संस्कृति के ताने-बाने को सुरक्षित और संरक्षित करती हैं। मनुष्य को मनुष्य के निकट लाती हैं। इसकी आज महती आवश्यकता है, क्योंकि आज के भौतिक युग में मनुष्य ने अपने निजी हित से ऊपर उठकर सोचना ही बंद कर दिया है। ऐसी स्थिति में रहस्यवादी या सूफियाना कविता दिलों से जोड़ने का काम करती है।
’काव्या’ समारोह के दूसरे दिन कुल चार सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र में इकराम राजस्थानी की राजस्थानी में अनुदित टैगोर की गीतांजलि पर रहस्यवाद से जुड़े पक्षों पर गहन चर्चा हुई। डॉ. परीक्षित और इकराम के बीच मधुशाला में रहस्यवाद को लेकर गंभीर चर्चा हुई। इसके निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि मूलतः यह प्रेमानुभूति का प्रतिबिम्ब हैं। इन्हें पढ़ने या समझने की बजाय गहराई से महसूस किया जाता है।
दूसरे सत्र में हिन्दी और राजस्थानी के साथ उर्दू शायरी में विजयसिंह नाहटा, अभिलाषा पारीक, जयसिंह आशावत, बिस्मिल अय्यूबी, एजाज उल हक, फानी जोधपुरी, सैयद आसिफ अली आसिफ, जीनत कैफी, बजरंग सोनी, कल्याण सिंह शेखावत, शिवानी शर्मा, ज्ञानवती सक्सेना, मुखर कविता, नूतन गुप्ता सहित अन्य कवियों और शायरों ने रहस्यवादी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर सृजनशील कवियों, कवयित्रियों और शायरों को काव्या के संस्थापक डॉ. परीक्षित सिंह, काव्या राजस्थान के अध्यक्ष वीर सक्सेना, महासचिव फारूक आफरीदी के शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह्् भेंट कर स्वागत किया।
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