जयपुर। जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर में ‘इंडिया चेजिंग 5 ट्रिलियन डॉलर ड्रीम’ विषय पर फाइनेंस कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। कॉन्क्लेव में जयपुरिया, जयपुर के निदेशक डॉ. प्रभात पंकज, आईसीएआई के के सीईओ सुनील पंत, सीयूटीएस इंटरनेशनल, जयपुर के कार्यकारी निदेशक बिपुल चटर्जी, संदीप जैन, ट्रेड स्विफ्ट ब्रोकिंग प्रा. लि. के निदेशक संदीप जैन के पैनल ने चर्चा की।
डॉ. अनुराग सिंह ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2019 में भारत को $5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का संकल्प लिया था, जिसे पूरा करने के लिए कॉर्पोरेट जगत के उद्यमी पूरी मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। सुनील पंत ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हमें यथार्थवादी होना पड़ेगा। इसके लिए यह देखना कि हमारे पास जो कुछ है क्या हम उससे 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर के सपने को साकार कर सकते हैं, यदि नहीं तो उसके लिए क्या हमारे पास इसका विजन है?
बिपुल चटर्जी ने कहा कि पिछले 60 वर्षों के अर्थव्यवस्था के आंकड़ों को देखते हुए 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक से 30 वर्ष के स्लैब को देखा जाए तो अर्थव्यवस्था के आकार में बहुत स्पष्ट वृद्धि देखी गई थी। चटर्जी ने देश की अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत में पानी, पशुपालन व मिट्टी की उर्वरकता में सुधार से ही यह सब संभंव है।
डॉ. प्रभात पंकज ने कहा कि 1990-2019 के बीच में देश कि विकास दर बहुत भिन्न है। 1990 में वैश्वीकरण विकास का चालक था और यह वास्तव में अर्थव्यवस्था को बढऩे में मददगार था लेकिन आज इसे विघटनकारी कारक के रूप में लिया जाता है। उन्होंने माना कि 8-10 साल में शायद आर्थिक वृद्धि संभंव है। संदीप जैन ने अर्थव्यवस्था की वास्तविकता के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2020 के बजट में कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। अगर हम राज्यवार लक्ष्यों को देखें तो यूपी सबसे बड़े राज्य में से एक है, जो कृषि अर्थव्यवस्था के 20 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने की सक्षम है यानी यह एक ट्रिलियन डॉलर प्राप्त कर सकेगा। इसके अलावा छात्र पैनल के पैनलिस्ट सुश्री कृष्णा खत्री, मनीष पंजवानी, सुश्री अदिति शर्मा, गविश अरोड़ा, दीप्तांश शर्मा, सुश्री पारुल कुमारी और प्रणव केडिया थे। कॉन्क्लेव के अंत में डॉ. आदित्य शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
डॉ. अनुराग सिंह ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2019 में भारत को $5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का संकल्प लिया था, जिसे पूरा करने के लिए कॉर्पोरेट जगत के उद्यमी पूरी मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं। सुनील पंत ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए हमें यथार्थवादी होना पड़ेगा। इसके लिए यह देखना कि हमारे पास जो कुछ है क्या हम उससे 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर के सपने को साकार कर सकते हैं, यदि नहीं तो उसके लिए क्या हमारे पास इसका विजन है?
बिपुल चटर्जी ने कहा कि पिछले 60 वर्षों के अर्थव्यवस्था के आंकड़ों को देखते हुए 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक से 30 वर्ष के स्लैब को देखा जाए तो अर्थव्यवस्था के आकार में बहुत स्पष्ट वृद्धि देखी गई थी। चटर्जी ने देश की अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत में पानी, पशुपालन व मिट्टी की उर्वरकता में सुधार से ही यह सब संभंव है।
डॉ. प्रभात पंकज ने कहा कि 1990-2019 के बीच में देश कि विकास दर बहुत भिन्न है। 1990 में वैश्वीकरण विकास का चालक था और यह वास्तव में अर्थव्यवस्था को बढऩे में मददगार था लेकिन आज इसे विघटनकारी कारक के रूप में लिया जाता है। उन्होंने माना कि 8-10 साल में शायद आर्थिक वृद्धि संभंव है। संदीप जैन ने अर्थव्यवस्था की वास्तविकता के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2020 के बजट में कृषि क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। अगर हम राज्यवार लक्ष्यों को देखें तो यूपी सबसे बड़े राज्य में से एक है, जो कृषि अर्थव्यवस्था के 20 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने की सक्षम है यानी यह एक ट्रिलियन डॉलर प्राप्त कर सकेगा। इसके अलावा छात्र पैनल के पैनलिस्ट सुश्री कृष्णा खत्री, मनीष पंजवानी, सुश्री अदिति शर्मा, गविश अरोड़ा, दीप्तांश शर्मा, सुश्री पारुल कुमारी और प्रणव केडिया थे। कॉन्क्लेव के अंत में डॉ. आदित्य शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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