जयपुर, 7 फरबरी , 2020 . कश्मीरी विस्थापित हिन्दू समिति जयपुर की तरफ से आज जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गयी। जिसमे राकेश हांडू ने बताया कि रविवार 9 फरवरी को आईनॉक्स सिनेमा, सनी ट्रेड, आतिश मार्केट में दोपहर 03:30 बजे शिकारा फिल्म की निशुल्क स्क्रीनिंग की जाएगी। यह निशुल्क स्कीनिंग कश्मीर से विस्थापित होकर जयपुर में रह रहे कश्मीरी परिवारों के लिए होगी।
शिकारा फिल्म कश्मीर त्रासदी की पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी है। कश्मीरी विस्थापित हिन्दू समिति जयपुर इस फिल्म के माध्यम से कश्मीरी हिन्दुओं के दर्द को साँझा करना चाहती है, इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा है।
यह फिल्म आज से करीब 30 साल पहले, 19 जनवरी 1990 को हजारों कश्मीरी पंडितों को आतंक का शिकार होकर अपना घर छोड़ना की पृष्टभूमि पर है। हालाँकि घर छोड़ते वक़्त उन्हें उम्मीद थी कि वे जल्दी ही अपने घरों में दुबारा से उसी तरह रह पाएंगे, जैसे दशकों से रहते आए थे। उन्हें यह भी उम्मीद थी कि उनके लिए संसद में शोर मचेगा, लेकिन उनके पक्ष में कहीं से कोई आवाज नहीं उठी। तब से लेकर अब तक 30 साल बीत गए, आज भी वे अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं। कई कश्मीरी फिर से वापिस जाने की आस को दिल में दबाये दुनिया को रुखसत भी बोल चुके है।
निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘शिकारा’ इसी कथ्य के आसपास रख कर बुनी गई फिल्म है। इस के मुख्य कलाकार है आदिल खान, सादिया, प्रियांशु चटर्जी इस फिल्म के लेखक है राहुल पंडिता, अभिजात जोशी और खुद विधु विनोद चोपड़ा। कहानी शुरू होती है 1987 में, जब कश्मीर घाटी कश्मीरी पंडितों की भी उतनी ही थी, जितनी कश्मीरी मुसलमानों की। जब दोनों समुदाय पूरे सौहाद्र्र के साथ मिल-जुल कर रहते थे। फिल्म खत्म होती है 2018 में, जब हजारों कश्मीरी पंडित अभी भी शरणार्थी का जीवन जीने को अभिशप्त हैं।
शिकारा फिल्म कश्मीर त्रासदी की पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी है। कश्मीरी विस्थापित हिन्दू समिति जयपुर इस फिल्म के माध्यम से कश्मीरी हिन्दुओं के दर्द को साँझा करना चाहती है, इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा है।
यह फिल्म आज से करीब 30 साल पहले, 19 जनवरी 1990 को हजारों कश्मीरी पंडितों को आतंक का शिकार होकर अपना घर छोड़ना की पृष्टभूमि पर है। हालाँकि घर छोड़ते वक़्त उन्हें उम्मीद थी कि वे जल्दी ही अपने घरों में दुबारा से उसी तरह रह पाएंगे, जैसे दशकों से रहते आए थे। उन्हें यह भी उम्मीद थी कि उनके लिए संसद में शोर मचेगा, लेकिन उनके पक्ष में कहीं से कोई आवाज नहीं उठी। तब से लेकर अब तक 30 साल बीत गए, आज भी वे अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं। कई कश्मीरी फिर से वापिस जाने की आस को दिल में दबाये दुनिया को रुखसत भी बोल चुके है।
निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘शिकारा’ इसी कथ्य के आसपास रख कर बुनी गई फिल्म है। इस के मुख्य कलाकार है आदिल खान, सादिया, प्रियांशु चटर्जी इस फिल्म के लेखक है राहुल पंडिता, अभिजात जोशी और खुद विधु विनोद चोपड़ा। कहानी शुरू होती है 1987 में, जब कश्मीर घाटी कश्मीरी पंडितों की भी उतनी ही थी, जितनी कश्मीरी मुसलमानों की। जब दोनों समुदाय पूरे सौहाद्र्र के साथ मिल-जुल कर रहते थे। फिल्म खत्म होती है 2018 में, जब हजारों कश्मीरी पंडित अभी भी शरणार्थी का जीवन जीने को अभिशप्त हैं।
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