डाॅ. पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की कथनी और करनी में अंतर साफ-साफ दिखाई पड़ता है। मुख्यमंत्री अपने अधिकतर भाषणों में महात्मा गाँधी के विचारों का अनुसरण करने का झूठा दावा करते रहे है और प्रदेश में शराबबंदी लागू हो इसका समर्थन करने का पाखण्ड करते आये है तथा जनता को भ्रमित करने के लिए यहाँ के अधिकारियों की एक टीम को बिहार भेजकर वहाँ शराबबंदी किस रूप में लागू है उसी तर्ज पर प्रदेश में लागू करने का भ्रम फैलाया जाता है। ठीक इसके विपरीत शराब बिक्री को बढ़ावा देने का आदेश निकालते है।
आखिर वो क्या चाह रहे हैं, क्या राजस्थान को मयखाने में तब्दील करना चाहते हैं? राजस्थान के युवाओं के प्रति उनकी संवेदना खत्म हो चुकी है, जो उन्हें नशे में धकेलने का काम कर रहे हैं। क्या ऐसे बार खोलने से पार्किंग की समस्या नहीं होगी? अपराध नहीं बढ़ेंगे? सरकार का खजाना भरने के और भी तरीके हो सकते हैं, लेकिन ये कानून तो प्रदेश को बर्बाद कर देगा। लगता है मुख्यमंत्री गहलोत को अपने निर्णयों पर यूटर्न लेने की आदत हो चुकी है। यह अधिसूचना सरकार ने 01 जनवरी, 2020 को जारी कर दी है। पहले 60 फीट और 80 फीट के रोड़ पर बार खोले जा सकते थे, जिसे सरकार ने अपना खजाना भरने के उद्देश्य से बदल दिया।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि राजस्थान के 900 में से लगभग 400 बार जयपुर में हैं। राजधानी पहले ही अपराधों से ग्रस्त है। इस निर्णय के बाद जयपुर और राजस्थान की जनता के सामने बड़ी चुनौती होगी।
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