जयपुर, 18 दिसम्बर। राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डाॅ. सीपी जोशी ने कहां है कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदनों में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जनता के लिए काम करते हैं, जनता के पैसे का सदुपयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता की सुविधा के लिए सार्थक चर्चा होनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने आचार संहिता बनाए जाने की भी आवश्यकता प्रतिपादित की।
डॉ. जोशी बुधवार को देहरादून में आयोजित राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। डाॅ. जोशी ने कहा कि राजनीतिक दलों को चर्चा करके निर्णय लेना चाहिए कि सदनों में सदस्य जनहित के मुद्दों को इस तरीके से उठाएं कि उन पर त्वरित निर्णय हो सके। डाॅ. जोशी ने कहा कि अनेक बार समितियों के पास विभिन्न बिंदुओं पर रिपोर्ट के लिए चर्चा चलती रहती है। बहुत समय निकलने के बाद भी सदन को रिपोर्ट नहीं आती है। डॉ. जोशी ने कहा कि समितियों को सदनों को शीघ्र रिपोर्ट पेश करनी होगी ताकि सदन में रिपोर्ट पर चर्चा हो सके और उन पर निर्णय लिया जा सके।
डॉ जोशी ने अपने 20 मिनट के धाराप्रवाह भाषण में जनहित के अनेक मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा शून्य काल महत्वपूर्ण समय होता है। इस शून्य काल में सार्थक चर्चाएं होनी चाहिए। शून्य काल का लाभ सदस्यों को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा सदस्य अपने इलाके की बात जरूर करें, लेकिन जनहित के मुद्दों को सदस्य तरीके से उठाएं। उन पर सार्थक चर्चा करें ताकि आमजन को लाभ मिल सके।
डॉ. सीपी जोशी ने कहा की सदनों को लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य करना होगा। जनता को सदनों के माध्यम से मालूम होना चाहिए कि उनके धन का उपयोग सार्थक तरीके से हो रहा है। जनता के द्वारा सदनों में भेजे गए प्रतिनिधि जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा करें, जिसका लाभ समाज राज्य और राष्ट्र को मिलना चाहिए।
डॉ जोशी ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संविधान में लोगों की सुविधा के लिए व्यवस्था की थी, अब सदस्यों की जिम्मेदारी है कि संविधान में दिए गए नियमों के अनुरूप जनता की समस्याओं का निराकरण करें। आज की आवश्यकताओं के अनुरूप नियमों में संशोधन कराने के लिए सदनों के सदस्यों को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए पहल करनी होगी।
डॉ. जोशी बुधवार को देहरादून में आयोजित राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। डाॅ. जोशी ने कहा कि राजनीतिक दलों को चर्चा करके निर्णय लेना चाहिए कि सदनों में सदस्य जनहित के मुद्दों को इस तरीके से उठाएं कि उन पर त्वरित निर्णय हो सके। डाॅ. जोशी ने कहा कि अनेक बार समितियों के पास विभिन्न बिंदुओं पर रिपोर्ट के लिए चर्चा चलती रहती है। बहुत समय निकलने के बाद भी सदन को रिपोर्ट नहीं आती है। डॉ. जोशी ने कहा कि समितियों को सदनों को शीघ्र रिपोर्ट पेश करनी होगी ताकि सदन में रिपोर्ट पर चर्चा हो सके और उन पर निर्णय लिया जा सके।
डॉ जोशी ने अपने 20 मिनट के धाराप्रवाह भाषण में जनहित के अनेक मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा शून्य काल महत्वपूर्ण समय होता है। इस शून्य काल में सार्थक चर्चाएं होनी चाहिए। शून्य काल का लाभ सदस्यों को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा सदस्य अपने इलाके की बात जरूर करें, लेकिन जनहित के मुद्दों को सदस्य तरीके से उठाएं। उन पर सार्थक चर्चा करें ताकि आमजन को लाभ मिल सके।
डॉ. सीपी जोशी ने कहा की सदनों को लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य करना होगा। जनता को सदनों के माध्यम से मालूम होना चाहिए कि उनके धन का उपयोग सार्थक तरीके से हो रहा है। जनता के द्वारा सदनों में भेजे गए प्रतिनिधि जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा करें, जिसका लाभ समाज राज्य और राष्ट्र को मिलना चाहिए।
डॉ जोशी ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने संविधान में लोगों की सुविधा के लिए व्यवस्था की थी, अब सदस्यों की जिम्मेदारी है कि संविधान में दिए गए नियमों के अनुरूप जनता की समस्याओं का निराकरण करें। आज की आवश्यकताओं के अनुरूप नियमों में संशोधन कराने के लिए सदनों के सदस्यों को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए पहल करनी होगी।
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