हर उम्र के दर्शकों को मुग्ध कर दे वही सच्ची प्रस्तुति : नायरजयपुर। किसी भी कलाकार या प्रस्तुति की सफलता इसी में है कि हर उम्र के दर्शक उसे सराहे। इससे भी बड़ी बात कि जब दर्शक, और तो और बच्चे भी एकटक पूरी नाटिका देखे।
यह उस नृत्य नाटिका की कसावट, कलाकारों के अभिनय, मौसिकी और उसके प्रस्तुतीकरण पर निर्भर करता है। यह कहना है देश-विदेश में प्रसिद्ध नृत्य नाटिका 'द गेम ऑफ डाइस' के निर्देशक, कोरियोग्राफर और एक्टर संतोष नायर का। वाकई महाभारत के एक प्रसंग पर बनी यह नृत्य नाटिका उनकी बताई खूबियों पर खरी उतरती है। तभी तो 15 साल से यह प्रस्तुति हर पीढ़ी के दर्शकों का दिल जीतती आई है।
कथकली, ओडिशा के मयूरभंज छऊ और कंटेम्प्रेरी नृत्य कला में पारंगत नायर ने इस नृत्य नाटिका में इन तीनों शैलियों का बखूबी इस्तेमाल किया है। दरअसल, यह संरचना कथकली और मयूरभंज छऊ पर आधारित कंटेम्प्रेरी शैली में है।
बदलाव भी बहुत हुए-
संतोष बताते हैं इस संरचना में 15 साल में कई बदलाव भी हुए। जैसे-जैसे फीड बैक मिलता, बेहतर सुझावों को अपना लेते। दर्शकों को रिझाने और बांधे रखने के लिए उनके नज़रिए के मुताबिक किए बदलावों के ही परिणाम है कि आज भी कई बार इस नृत्य नाटिका को देखने वाले को भी यह रोचक लगती है। वैसे, नायर खुद 15 साल से शकुनि और नरसिंह भीम की भूमिका करते रहे हैं।
मास्क और कॉस्ट्यूम है खासियत-
नायर बताते हैं कि इस संरचना में मास्क का प्रयोग पात्र को सीधे दर्शक से जोड़ता है, जैसे शकुनि और नरसिंह। इसी तरह , अन्य पात्रों, खासकर द द्रौपदी के कॉस्ट्यूम में समय-समय पर किए बदलाव के परिणाम सकारात्मक रहे।
भीम के तीन रूप-
इस नृत्य नाटिका में भीम को रौद्र भीम और नरसिंह भीम के रूप में भी दिखाया गया है। द्रौपदी के अपमान पर भीम का रौद्र रूप सामने आता है, तो द्रौपदी के केश धोने के लिए दुशासन की छाती का लहू निकालने के समय नरसिंह का रूप दिखता है। इस कॉन्सेप्ट को भी देशभर के दर्शकों ने खूब सराहा।
बच्चों ने भी देखा एकटक-
जयपुर के जवाहर कला केंद्र के मुक्ताकाशी मंच पर हाल ही में दी गई प्रस्तुति को नौनिहालों ने भी एकटक देखा। प्रस्तुति के बाद 5 व 7 साल के बच्चों के साथ आए अभिभावकों ने प्रस्तुति के बाद मंच पर आकर बताया कि बच्चों ने भी पूरी नृत्य नाटिका एकटक देखी।
और तो और, कुछ बच्चे रौद्र भीम के कॉस्ट्यूम से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने स्टेज पर आकर उस कलाकार के साथ सेल्फी ली। नायर कहते हैं कि यही प्रस्तुति की सफलता है और कलाकार के लिए गर्व कि बात है कि बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी उसकी मुक्तकंठ से सराहना करे।
No comments:
Post a comment