आखिरकार मोदी जी के 50 दिन कब पूरे होंगे : देवेंद्र शास्त्रीजयपुर। आम आदमी पार्टी की जयपुर इकाई ने शुक्रवार को जयपुर जिला कलेक्टर जगरूप यादव से मुलाकात कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौप देश के प्रधानमंत्री से तीन साल पहले की गई नोटबन्दी के चलते हुई बर्बादी पर देश से मांफी मांगने का आग्रह करते हुए ज्ञापन सौपा। इस दौरान आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री, जयपुर शहर अध्यक्ष अमित शर्मा लियो, यूथ विंग पदाधिकारी केशव अग्रवाल सहित जयपुर इकाई के विभिन्न कार्यकर्ताओ ने भाग लिया।
जयपुर शहर अध्यक्ष अमित शर्मा लियो ने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से देश के राष्ट्रपति महोदय से मांग की गई है कि सरकारें सदैव आमजन के हितों के लिए कार्य करते हुए आई है, वर्तमान की केंद्र सरकार के मुख्या द्वारा तीन वर्ष पूर्व मध्यरात्रि में नोटबन्दी जैसा तुगलकी फरमान जारी कर एक महीने से अधिक समय तक देश की आमजन को बैंकों की लाइनों में लगने पर मजबूर कर दिया था, जिसका परिणाम यह निकला कि 100 से अधिक लोगों ने बैंकों की लाइन में लगकर दम तोड़ दिया। हजारों लोगों की जमा पूंजी बैंकों में अटक गई जिससे उनका जीवन प्रभावित हुआ। आज देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई। यह सब परिणाम केवल देश के प्रधानमंत्री के तुगलकी फरमान से हुआ, मामला यही नही रुका, प्रधानमंत्री ने इस नोटबन्दी का हवाला देते हुए कहा था कालाधन वापस आएगा, दाऊद को पकड़कर लाएंगे, ये तो हो ना सका बल्कि विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी जैसे लोग करोड़ो लोगो की बैंकों में जमा पूंजी को लेकर देश से ही गायब हो गए। जिस पर राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन देकर प्रधानमंत्री से मांफी मांगने की मांग की गई है।
प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री ने बताया कि नोटबन्दी के दौरान प्रधानमंत्री महोदय से देश की जनता से 50 दिन का वक़्त मांगते हुए कहा था कि अगर 50 दिन में नोटबन्दी से जनता को राहत नही मिलेगी तो जनता जिस चौराहे पर बुलाएगी उस चौराहे पर आऊंगा। ना मोदी जी पधारे, ना 50 दिन इन तीन सालों में पूरे हो सके, ना जनता को राहत मिल पाई, आखिर वो 50 दिन कब पूरे होंगे ? देश की प्रभावित आमजनता प्रधानमंत्री से पूछ रही है, कब नरेंद्र मोदी 50 दिन का वनवास पूरा कर देश के चौराहों पर आएंगे।
शास्त्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई नोटबन्दी का विरोध तीन वर्ष पूर्व भी आम आदमी पार्टी ने किया था और आज भी कर रही। पार्टी का मानना है कि अगर देश से आतंकी फंडिंग रुकती, भ्रष्टाचार रुक जाता, बेरोजगारों को नोकरी मिल जाती और उद्योगपतियों के उद्योग में बढ़ोतरी हो जाती तो यह नोटबन्दी सार्थक होती किन्तु ना आतंकी फंडिंग रुकी, ना भ्रष्टाचार रुका, नोकरी देना तो दूर जो नोकरी पर थे उनकी नोकरी छीन ली गई और उद्योगपतियों के धंधे चौपट हो गए। जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेनी चाहिए और देश से मांफी मांगनी चाहिए। केवल अम्बानी, अडानी, रामदेव जैसे उद्योगपतियों के धंधों को बढ़ावा देना ही देश का विकास नही होता, देश का विकास देश की आमजनता के हितों की रक्षा और उनके संरक्षण से होता है। जो सभी सरकारों को प्रथम कर्तव्य मानकर करना चाहिए।
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