-गोविंददेवजी मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी पर भीड़ के कारण 15 मिनट ज्यादा खुली रही राजभोग झांकीजयपुर। चातुर्मास के चार माह में क्षीर सागर मेें विश्राम कर रहे श्रीहरि कार्तिक शुक्ला एकादशी को शंख-घंटा-घडिय़ाल के साथ उठे। इसके साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों का दौर शुरू हो गया। आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सुबह सुबह 9:15 बजे सालिगरामजी को खाट पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने स्थित तुलसीजी मंच की ओर ले जाया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी सालिगरामजी को लेकर चल रहे थे तो प्रबंधक मानस गोस्वामी चंवर डुलाते चल रहे थे। मंदिर के सेवायत शंख-घंटा-झांझ बजा रह थे।
तुलसा मंच के पास सालिगरामजी को विराजित कर सालिगरामजी और तुलसीजी का पंचामृत अभिषेक कर पूजन किया गया। इसके बाद आरती हुई। तुलसीजी की चार परिक्रमा के बाद सालिगरामजी को दो अश्व वाले चांदी के रथ में विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा कराकर पुन: गर्भगृह में विराजमान किया गया। इसके बाद भक्तों ने शृंगार झांकी के दर्शन किए। इस अवसर पर ठाकुरजी को लाल जामा पोशाक धारण कराई गई। विशेष आभूषण कर शृंगार किया गया।
देवउठनी एकादशी पर मंदिर में भारी भीड़ रही। इस कारण राजभोग झांकी के दर्शन 15 मिनट अधिक बारह बजे तक खुले रहे। श्रद्धालुओं को सागारी लड्डू प्रसाद वितरित किया गया।
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