सांगानेर के रीजेन अस्पताल के चिकित्सको ने कर दिखाया यह कारनामा
चिकित्सको की मेहनत रंग लाई, करंट लगने के बाद रूक चुकी हृद्य गति को फिर से शुरू करने में क्रिटिकल केयर स्टाॅफ को मिली सफलता।जयपुर। हाईवोल्ट का करंट लगने के बाद हृद्य गति एक बार रूकने पर भी चिकित्सको की टीम ने अपने भरसक प्रयासो से मरीज़ की जान बचाने में सफलता प्राप्त की है। मामला जयपुर शहर के सांगानेर सांगा सेतु रोड स्थित रीजेन हाॅस्पिटल का है, जहां चिकित्सको ने यह कमाल कर दिखाया। दरअसल 20 वर्षीय युवक के इलेक्ट्रिक शाॅक के कारण रूकी हुई हृद्य गति की अवस्था में देर रात रीजेन अस्पताल लाया गया। यहां ईमरजेन्सी एवं क्रिटिकल केयर स्पेषलिस्ट डाॅ अमित शर्मा के नेतृत्व में चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाॅफ ने काम करना शुरू किया। डाॅ अमित ने बताया कि करीब 45 मिनट तक सीपीआर करने के बाद मरीज की स्थिति कुछ सामान्य होती नजर आई तक जाकर डाॅक्टर्स की टीम ने कुछ राहत की सांस ली। इसके बाद मरीज को 5 दिन तक आईसीयू में रखा गया, जिसमें 2 दिन तक वेंटीलेटर एवं आईनोट्रोप सपोर्ट पर मरीज रहा। सात दिन के इलाज के बाद मरीज को पूर्णतया स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल के एमडी सीनीयर आर्थो सर्जन डाॅ ़ऋषभ सेठी ने बताया कि मानसून के दिनों में बिजली के करंट की समस्या अधिक बढ जाती है, इस स्थिति में आमजन को सतर्क रहना चाहिए एवं मामला गंभीर ना हो इससे पहले ही किसी भी नजदीकी अस्पताल में क्रिटिकल केयर स्टाॅफ को मरीज सुपुर्द कर देना चाहिए। उन्होंने रीजेन अस्पताल में मरीज की जान बचाए जाने पर सभी चिकित्सको का आभार व्यक्त किया।
प्राथमिक चिकित्सा जरूरी
डाॅ अमित शर्मा ने बताया कि मरीज को अस्पताल लाने से पूर्व यदि प्राथमिक चिकित्सा दे दी जाए तो परिणाम बेहतर रहते हैं। उन्होंने बताया कि यदि मरीज लगातार करंट के संपर्क में है तो मुख्य स्विच को बंद करें, यदि यह संभव ना हो तो फिर किसी कुचालक पदार्थ से मरीज को विद्युत के संपर्क से दूर करना चाहिए। यदि प्रभावित व्यक्ति में कोई हलचल नहीं है तो बीएलएस ट्रेंड व्यक्ति उसका एलपीआर चालू करे व तुरंत आपातकाल नंबर सूचित करे। यदि मरीज उपर से गिरा है तो गर्दन में चोट संभव है तो आपातकालीन गाडी आने तक उसे ना हिलाया जाए।
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