बुधवार को मनाई जायेगी "सुगंध दशमी" जैन मंदिरों में खेरी जाएगी धूप

अध्यक्ष एमपी जैन ने बताया कि प्रातः 6 बजे से जिनालय में कलशाभिषेक के पश्चात प्रातः 7.30 बजे से आचार्य विद्या सागर सभागार में पाण्डुक्षिला पर श्रीजी को विराजमान किया गया। जिस पर सौधर्म इंद्र द्वारा प्रथम कलश एवं शांतिधारा कर " उत्तम सत्य धर्म " पर विधान पूजन की स्थापना कर पूजन प्रारम्भ की, विधान पूजन के दौरान सभी श्रावक और श्राविकाओं द्वारा अपने कर्मो की निर्जरा के श्रय के लिए संगीतमय पूजन श्रद्धा - भक्ति के साथ आराधना कर अर्घ चढ़ाये।
पूजन के दौरान मुनि विभंजन सागर महाराज अपने उद्बोधन में कहा कि " सत्य की बुनियाद पर मोक्ष का महल टिका होता है, झूठ नींव पर तैयार होने वाले महल को धसने में देर नहीं लगती है, जिस प्रकार कभीसच्चाई छुप नहीं सकती, झूठे उसूलो से खुशबू आ नहीं सकती, कभी कागजो के फूलो से खुशबू नहीं सकती उसी प्रकार झूठे बोल बोलने से कामयाबी भी नहीं मिल सकती, सत्य होते हुए भी जो वचन अप्रिय हों वे असत्य की कोटि में आते है, कहा भी गया है कि - सत्य ब्रूयातु प्रियं ब्रूयातु नब्रूयातु सत्यमप्रियम। "
“ अर्थात जिन सत्ये वचनो से दोस्तो की हिंसा हो उन वचनो को असत्य ही समझना चाहिए। हमेशा शास्त्रनुकूल वचन बोलने चाहिए, यदिस्वयं पालन न भी कर सकें तो भी वे ही वचन बोलने चाहिए जो सत्य हों। व्यवहार में बोले गए असत्य वचन भी सत्य ही होते है, जैसे कोई गेहूं पिसानेजाता है तो वह कहता है कि में आटा पिसाने जा रहा हु। “
“ असत्य बोलने वाले पर कोई विश्वास नहीं करता है और ना ही कोई साथ रखता है अतः सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए, यह असत्य केविरुद्ध सच्ची राह का निर्माण करता है, असत्य के खिलाफ स्थिर रहने की शक्ति प्रदान करता है इसे उत्तम सत्य धर्म कहा गया है। “
समिति उपाध्यक्ष अनिल जैन बाँसखो ने बताया की रविवार को जैन धर्म के दशलक्षण पर्व के छठे दिन " उत्तम सयंम धर्म " और " सुगंध दशमी " पर्व श्रद्धा - भाव के साथ मनाया जायेगा। सुबह 6 बजे से श्रीजी के कलशाभिषेक के साथ विधान पूजन और " उत्तम सयंम धर्म " पर प्रवचन होंगे और सायंकालीन में श्रीजी की आरती के साथ जगत में फैली असुगंध को हटाने के लिए श्रीजी के सम्मुख धुप खेरकर सुंगध फैलाई जाएगी। इस बीच सायंकालीन 6.30 बजे आनंद यात्रा, शास्त्र प्रवचन एवं श्रीजी की मंगल आरती का आयोजन भी प्रांगण पर संपन्न होगा।
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