जयपुर। कीर्ति नगर दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान गणिनी आर्यिका गौरवमति माताजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि " आज प्राणी खुशियां पाने के लिए इधर - उधर भटक रहा है, जबकि स्वयं के पास उन खुशियों को ढूंढ नही रहा। खुशियां पाना कोई कठिन परिश्रम नही है उसे केवल समझने का परिश्रम मात्र है उसे करने का साहस बहुत कम लोगो मे होता है। खुशी स्वयं के इरादों पर चलकर जिंदगी जीने से नही मिलती, खुशियों तो उन लोगों को मिलती जो दूसरों की खुशी के लिए अपने इरादे बदल कर दुसरो की ज़िंदगी मे खुशियों के रंग भर देते है उनको खुशी मिलती है।
चार दिन की ज़िंदगी क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जायेगे, सब कुछ यही रह जाना है यह बात सब जानते है। किंतु फिर भी स्वार्थ नही छोड़ते जिन लोगो ने स्वार्थ को छोड़ा है उनका सम्मान इस सृष्टि ने किया है। आज जो महापुरुष हुए है अगर वह स्वार्थ को पालते तो क्या वह महापुरुष बनते, नही बनते लेकिन उन्होंने स्वार्थ का त्याग कर जनकल्याण में अपनी अटूट भागीदारी निभाई और दूसरों की ज़िंदगी मे खुशियों के रंग भरने का संकल्प किया तो उनको इस सृष्टि ने भी सम्मान दिया। इरादे बदलिए ज़िंदगी बदल सकती है। केवल सोच मात्र का अंतर है। सोच बदल जाये तो स्वयं के कल्याण के साथ साथ स्वयं के माध्यम से दूसरों का भी कल्याण होगा। आदिनाथ भगवान से लेकर महावीर भगवान तक को देख लो जब वह संसारिक जीवन मे थे कोई कमी नही थी, सभी 24 तीर्थंकर ने राजकुल में जन्म लिया। किन्तु उन्होंने राजकुल का त्याग कर आत्मकल्याण का मार्ग अपनाया।
भगवान राम भी राजा थे, किन्तु 14 वर्ष का वनवास उन्होंने भी भोगा, जिससे वह श्री राम बने, महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु इन सभी ने देश की खुशी में अपना जीवन जिया, अगर यह स्वयं का जीवन जीते तो क्या आज हम इनके नाम याद रखते ? नही रखते, किन्तु इन सभी महापुरुषों ने दुसरो की खुशियों के लिए अपना जीवन जिया, हमे भी यही प्रयास करना चाहिए और स्वयं की खुशी का त्याग कर दूसरों की ज़िंदगी मे खुशियों के रंग भरने का संकल्प लेना चाहिए, खुशियां स्वयं आपके पास आएगी। ज़िंदगी को सरल केवल खुशियां बांटने से ही बनाया जा सकता है। खुशियां बांटो और ज़िंदगी को सरल बनाओ।
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की रविवार को प्रात : कालीन प्रवचन सभा के दोरान गणिनी आर्यिका रत्न गौरवमति माताजी वर्ष 2019 के वर्षायोग की घोषणा करेगी . इस दोरान बड़ी संख्या में श्र्द्धालुगन एकत्रित होंगे .
चार दिन की ज़िंदगी क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जायेगे, सब कुछ यही रह जाना है यह बात सब जानते है। किंतु फिर भी स्वार्थ नही छोड़ते जिन लोगो ने स्वार्थ को छोड़ा है उनका सम्मान इस सृष्टि ने किया है। आज जो महापुरुष हुए है अगर वह स्वार्थ को पालते तो क्या वह महापुरुष बनते, नही बनते लेकिन उन्होंने स्वार्थ का त्याग कर जनकल्याण में अपनी अटूट भागीदारी निभाई और दूसरों की ज़िंदगी मे खुशियों के रंग भरने का संकल्प किया तो उनको इस सृष्टि ने भी सम्मान दिया। इरादे बदलिए ज़िंदगी बदल सकती है। केवल सोच मात्र का अंतर है। सोच बदल जाये तो स्वयं के कल्याण के साथ साथ स्वयं के माध्यम से दूसरों का भी कल्याण होगा। आदिनाथ भगवान से लेकर महावीर भगवान तक को देख लो जब वह संसारिक जीवन मे थे कोई कमी नही थी, सभी 24 तीर्थंकर ने राजकुल में जन्म लिया। किन्तु उन्होंने राजकुल का त्याग कर आत्मकल्याण का मार्ग अपनाया।
भगवान राम भी राजा थे, किन्तु 14 वर्ष का वनवास उन्होंने भी भोगा, जिससे वह श्री राम बने, महात्मा गांधी, सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, राजगुरु इन सभी ने देश की खुशी में अपना जीवन जिया, अगर यह स्वयं का जीवन जीते तो क्या आज हम इनके नाम याद रखते ? नही रखते, किन्तु इन सभी महापुरुषों ने दुसरो की खुशियों के लिए अपना जीवन जिया, हमे भी यही प्रयास करना चाहिए और स्वयं की खुशी का त्याग कर दूसरों की ज़िंदगी मे खुशियों के रंग भरने का संकल्प लेना चाहिए, खुशियां स्वयं आपके पास आएगी। ज़िंदगी को सरल केवल खुशियां बांटने से ही बनाया जा सकता है। खुशियां बांटो और ज़िंदगी को सरल बनाओ।
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की रविवार को प्रात : कालीन प्रवचन सभा के दोरान गणिनी आर्यिका रत्न गौरवमति माताजी वर्ष 2019 के वर्षायोग की घोषणा करेगी . इस दोरान बड़ी संख्या में श्र्द्धालुगन एकत्रित होंगे .
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