जयपुर, 28 जुलाई। संगीत आश्रम संस्थान की ओर से शास्त्री नगर स्थित साइंसपार्क ऑडिटोरियम में चल रहे दो दिवसीय संगीत समारोह के आखिरी दिन रविवार को संस्था के ही कलाकारों ने सुर, साज और आवाज और कथक नृत्य के सलोना संगम कर बड़ी तादाद में मौजूद दर्शकों को आह्लादित कर दिया। इससे पहले समाजसेवी ताराचंद जैन ने नटराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
संगीत समारोह के आखिरी दिन की शुरुआत कथक नृत्य संध्या से हुई। इसमें अनेक बाल-युवा नृत्यांगनाओं ने आकर्षक फुटवर्क और आंगिक-भंगिमाओं के बेहतरीन संयोजन से जयपुर घराने के शुद्ध पारंपरिक कथक की खूबसूरती दर्शायी। नृत्य गुरु संजीव कुमावत के निर्देशन में आरना आसोपा, ध्रुव व्यास, काव्य अग्रवाल और कोमल बाहेती ने कवित्त, टुकड़े, तोड़े, परनें, कुछ फरमाइशी बातों का सुन्दर प्रदर्शन कर प्रशंसा बंटोरी। इसी प्रकार काजल खंडेलवाल, करिश्मा खंडेलवाल, तनिष्का पुरोहित और याशा नंदवाना ने शुद्ध कथक की शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद नयना जांगिड़, पूजा गुप्ता और प्रियाशा जैन ने तीन ताल में निबद्ध प्रस्तुति में आंगिक-भंगिमाओं और मुद्राओं में अपनी तैयारी पक्ष का उम्दा प्रदर्शन किया। नृत्यांगना भूमिका कुमावत ने भी भावपूर्ण कथक नृत्य का नयनाभिराम प्रदर्शन कर तालियां बंटोरी।
आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे...
इसके बाद समारोह में अमर गायक मो.रफी की याद में एक शाम रफी के नाम कार्यक्रम हुआ। इसमें संस्थान के अनेक कलाकारों ने अपनी पुरकशिश आवाज में रफी के गाए गीतों को गुनगुनाकर रफी की याद ताजा कर दी। कलाकार दिशा चट्टोपाध्याय ने चुरा लिया है दिल ने जो तुमको..., मुस्कान कुमावत ने ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें..., वरिष्ठ कलाकार ताराचंद जैन ने आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे...सरीखे सदाबहार गीत पेशकर आनंदित कर दिया। इसी प्रकार डॉ.केबी खंडेलवाल, डॉ. मनीष जैन, गरिमा पंजाबी, गर्विता मंगल, जीनस कंवर, ममता शर्मा, मनीष जोशी,नबमिता मुखर्जी, नुपुर उपाध्याय, रजनी कुमावत, रवि जोलिया, शुभम वर्मा ने भी गीत पेश किए। तबले पर दिलशाद खान, ऑक्टोपेड पर अल्ताफ खान, की-बोर्ड पर हबीब खान, गिटार पर वत्सल अनुपम और एकॉर्डियन पर शेर खान ने प्रभावी संगत की। संचालन वीना अनुपम ने किया। अंत में संगीत आश्रम संस्थान सचिव अमित अनुपम ने सभी आगन्तुकों का आभार जताया।
संगीत समारोह के आखिरी दिन की शुरुआत कथक नृत्य संध्या से हुई। इसमें अनेक बाल-युवा नृत्यांगनाओं ने आकर्षक फुटवर्क और आंगिक-भंगिमाओं के बेहतरीन संयोजन से जयपुर घराने के शुद्ध पारंपरिक कथक की खूबसूरती दर्शायी। नृत्य गुरु संजीव कुमावत के निर्देशन में आरना आसोपा, ध्रुव व्यास, काव्य अग्रवाल और कोमल बाहेती ने कवित्त, टुकड़े, तोड़े, परनें, कुछ फरमाइशी बातों का सुन्दर प्रदर्शन कर प्रशंसा बंटोरी। इसी प्रकार काजल खंडेलवाल, करिश्मा खंडेलवाल, तनिष्का पुरोहित और याशा नंदवाना ने शुद्ध कथक की शानदार प्रस्तुति दी। इसके बाद नयना जांगिड़, पूजा गुप्ता और प्रियाशा जैन ने तीन ताल में निबद्ध प्रस्तुति में आंगिक-भंगिमाओं और मुद्राओं में अपनी तैयारी पक्ष का उम्दा प्रदर्शन किया। नृत्यांगना भूमिका कुमावत ने भी भावपूर्ण कथक नृत्य का नयनाभिराम प्रदर्शन कर तालियां बंटोरी।
आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे...
इसके बाद समारोह में अमर गायक मो.रफी की याद में एक शाम रफी के नाम कार्यक्रम हुआ। इसमें संस्थान के अनेक कलाकारों ने अपनी पुरकशिश आवाज में रफी के गाए गीतों को गुनगुनाकर रफी की याद ताजा कर दी। कलाकार दिशा चट्टोपाध्याय ने चुरा लिया है दिल ने जो तुमको..., मुस्कान कुमावत ने ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें..., वरिष्ठ कलाकार ताराचंद जैन ने आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे...सरीखे सदाबहार गीत पेशकर आनंदित कर दिया। इसी प्रकार डॉ.केबी खंडेलवाल, डॉ. मनीष जैन, गरिमा पंजाबी, गर्विता मंगल, जीनस कंवर, ममता शर्मा, मनीष जोशी,नबमिता मुखर्जी, नुपुर उपाध्याय, रजनी कुमावत, रवि जोलिया, शुभम वर्मा ने भी गीत पेश किए। तबले पर दिलशाद खान, ऑक्टोपेड पर अल्ताफ खान, की-बोर्ड पर हबीब खान, गिटार पर वत्सल अनुपम और एकॉर्डियन पर शेर खान ने प्रभावी संगत की। संचालन वीना अनुपम ने किया। अंत में संगीत आश्रम संस्थान सचिव अमित अनुपम ने सभी आगन्तुकों का आभार जताया।
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