- -कलाकार असगर हुसैन ने बिखेरी दिल्ली घराने की खुशबू
- -साइंसपार्क ऑडिटोरियम में हुआ क्लासिकल म्यूजिक कॉन्सर्ट
उस्ताद असगर हुसैन की प्रस्तुति के दौरान ऐसा लगा मानो वॉयलिन साज बज नहीं रहा अपितु गा रहा है। गौरतलब है कि राग मेघ और राग मधुमास सारंग में काफी समरूपता है। इसके बावजूद इस कलाकार ने राग मेघ को पूरी शुद्धता से पेश कर राग मधुमास सारंग की छवि नहीं पडऩे दी। तकरीबन 35 साल से देश-विदेश में प्रस्तुति दे रहे वरिष्ठ कलाकार असगर हुसैन ने जयपुर में चौथी बार अपना कार्यक्रम पेश किया। गुरु-पिता अरवार हुसैन के शिष्य बेटे असगर हुसैन ने राग मेघ के बाद पहाड़ी ठुमरी की रचना रंगी सारी हमारी चुनरिया रे, मोहे मारे तिरछी नजरिया रे... को रसीले अंदाज में पेश कर संगीतरसिकों के दिलों को छू लिया। तबले पर जयपुर के वरिष्ठ कलाकार महेन्द्र शंकर डांगी ने दमदार संगत से कार्यक्रम में रंगत भर दी। संचालन वीना अनुपम ने किया। अंत में संगीत आश्रम संस्थान सचिव अमित अनुपम ने सभी आगन्तुकों का आभार जताया।
एक शाम रफी नाम कार्यक्रम आज
दो दिवसीय समारोह के आखिरी दिन रविवार को अपराह्न 3.30 बजे साइंसपार्क ऑडिटोरियम में कथक नृत्य संध्या समेत अमर गायक मो.रफी की याद में एक शाम रफी नाम कार्यक्रम होगा। इसमें संगीत आश्रम संस्थान के कलाकार प्रस्तुति देंगे।
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