नामांकन वृद्धि के साथ ही पौधारोपण की भी पहल करने का शिक्षा मंत्री ने किया आह्वानजयपुर, 21 जून। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है कि विषेष षिक्षकों को विषेष आवष्यकता वाले विद्यालयों में ही लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेष में 83 ऐसे विषेष षिक्षक थे जो सामान्य विद्यालयों में लगे हुए थे, उनका पदस्थापन तत्काल प्रभाव से दृष्टिबाधित, मुक-बधिर आदि विषेष आवष्यकता वाले विद्यालयों में करने के निर्देष जारी किए गए हैं। उन्होंने प्रदेष के षिक्षकों और अभिभावकों का आह्वान भी किया कि वे स्कूलों में नामांकन वृद्धि के साथ ही विद्यालयों में उतनी ही संख्या में पौधारोपण भी करें ताकि पर्यावरण संरक्षण की पहल हो सके।
विशेष शिक्षकों का पदस्थापन विशेष आवश्यकता वाले विद्यालयों में ही होगा
डोटासरा आज यहां राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मालवीय नगर में दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप वितरण एवं उनके आवासीय षिविर के शुभारम्भ के राज्य स्तरीय समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने समारोह में जब देखा कि दृष्टिबाधित बच्चों को सहयोगी मंच पर सीढ़िया चढाकर लेकर आने वाले हैं तो स्वयं मंच से उतरकर उन्होंने ऐसे बच्चों को निकट जाकर उन्हें लैपटाॅप वितरीत किए। उन्होंने सौ दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप दिए जाने के अंतर्गत 30 को स्वयं लैपटाॅप वितरीत किए। उन्होंने कहा कि लैपटाॅप दिए जाने के साथ ही दृष्टिबाधित बच्चों के लिए विषेष रूप से तैयार साॅफ्टवेयर भी उसमें इन्स्टाॅल करके दिया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा हरेक व्यक्ति का धर्म है। उन्होंने दृष्टिबाधित बच्चों की चर्चा करते हुए कहा कि षिक्षा मंत्री बनने के बाद उनका पहला दौरा बीकानेर स्थित नेत्रहीन विद्यालय में ही हुआ था। वहां के बच्चों से संवाद कर, उनकी सृजनात्मक गतिविधियाॅं देखकर कही ंसे नही ंलगा कि ये सामान्य बच्चों से कहीं कम हैं। उन्होंने कहा कि दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप देने और उनके लिए इसको चलाने के लिए आवासीय प्रषिक्षण देने की पहल राज्य सरकार ने इसीलिए की है कि इससे वे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में भी निपुण हो सके। उन्होंने ऐसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण षिक्षा देने का आह्वान करते हुए कहा कि दृष्टिबाधित बच्चे षिक्षा के हर क्षेत्र में आगे बढ़े, इसके लिए सभी मिलकर प्रयास करे।
श्री डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि विभाग के उपलब्ध मानव एवं भौतिक संषाधनों का अधिकतम उपयोग सभी स्तरों पर सुनिंिष्चत हो। इसके तहत ही 70 उर्दु षिक्षकों को भी उर्दु विषय वाले विद्यालयों में ही पदस्थापित कर उर्दु विषय के बच्चों के षिक्षण की प्रभावी व्यवस्था की गयी है। इसी प्रकार जहा वाणिज्य विषय के अध्यापाकों की जरूरत हैं, उन्हें वहां पदस्थापित करने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार में जन प्रतिनिधि बतौर जनता के ट्रस्टी के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए षिक्षकों, अभिभावकों, विद्यार्थियों का कल्याण ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।
षिक्षा मंत्री ने कहा कि षिक्षकों की समस्याओं का समाधान किए जाने के लिए ही राज्य सरकार ने उनकी लम्बित 15 हजार परिवेदनाओं का त्वरित निस्तारण करते हुए अब उनकी सेवा संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए आॅनलाईन व्यवस्था की है। शाला दर्पण पोर्टल पर ‘स्टाफ कोर्नर’ की शुरूआत इसीलिए की गयी है। उन्होंने कहा कि जिलों में विद्यालयों की निरीक्षण व्यवस्था की भी प्रभावी मोनिटरिंग करने के निर्देष दिए गए हैं ताकि विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण षिक्षा के साथ-साथ वहां जनप्रतिनिधियों के सुझावों से बेहतर व्यवस्थाएं सुनिष्चित हो सके।
डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार ने षिक्षकों के हित को ध्यान में रखते हुए उनके आवासीय प्रषिक्षण षिविरों को गैर आवासीय और अवकाष मे ंनहीं करने के साथ ही स्कूलांे का समय कम किया है। षिक्षकों की पदोन्नति के साथ ही उन्हें बेहतर माहौल में पढ़ाने के अवसर देने के राज्य सरकार ने हर संभव प्रयास किए है। प्रयास यही है कि षिक्षक पूर्ण मनोयोग से बच्चों को पढ़ाएं। इससे पहले राजस्थान स्कूल षिक्षा परिषद् की उपायुक्त नसीम खान से दृष्टिबाधित बच्चों को राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शिक्षा विभाग के उप निदेषक रतन सिंह यादन वे सभी का आभार जताया।
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