जयपुर, 28 मई। रजिस्ट्रार सहकारिता डॉ. नीरज के पवन ने कहा कि भूमि विकास बैंकों में हुए अनियमित ऋण वितरण एवं वसूली के प्रति उदासीनता को अत्यन्त गम्भीरता से लिया जाएगा और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि नये ऋणों का अवधिपार होना किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डॉ. पवन मंगलवार को शासन सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग के जरिये सम्बन्धित जिला मुख्यालयों से राज्य के 36 प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के सचिवों के साथ समीक्षा कर रहे थे। ऋणमाफी के उपरान्त शेष रहे अवधिपार मामलों में तथा चालू मांग की वसूली जून, 2019 में लक्ष्यानुसार नहीं किये जाने एवं गलत ऋण वितरण करना पाये जाने की स्थिति में सम्बन्धित सचिवों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
रजिस्ट्रार ने राजस्थान कृषक ऋणमाफी (दीर्घकालीन) योजना की अब तक की प्रगति को गम्भीरता से लेते हुए शेष मामले ऋणमाफी पोर्टल पर यथाशीघ्र अपलोड किये जाकर सभी पात्र किसानों को लाभान्वित करने के निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि ऋणमाफी के बाद ऐसे बैंक भी ऋण वितरण के लिए पात्र हो सकेंगे जिनकी वसूली 25 प्रतिशत से कम होने के कारण नाबार्ड से पुनर्वित्त नहीं मिलता था अतः अब नये ऋण वितरण मामलों में सही अप्रेजल करते हुए वितरण योग्य ऋणों की सूचना निर्धारित प्रपत्र में प्रधान कार्यालय, जयपुर को भिजवाते हुए ऋण वितरण किया जाए।
उन्होंने निर्देश दिये कि जिन मामलों में ऋणमाफी नहीं हुई है यथा - अकृषि/ग्रामीण आवास ऋण मामलों में तथा कृषि क्षेत्र के विलफुल एवं सुदृढ आर्थिक स्थिति वाले डिफाल्टर्स से अवधिपार ऋणों की वसूली के लिए जून माह में परिणामों से अवगत करायें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि सर्वाधिक अवधिपार बकाया वाले 30 अवधिपार ऋणियों की सूची बनाकर सचिव स्वयं वसूली करके प्रगति से प्रतिमाह अवगत करायेंगे।
वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग के दौरान जी. एल. स्वामी, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (द्वितीय) एवं राजीव लोचन, प्रबन्ध निदेशक, एसएलडीबी ने भी सचिवों से चर्चा की तथा इस दौरान दुर्गालाल बलाई, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मोनेटरिंग) एवं नवीन शर्मा, महा प्रबन्धक, एसएलडीबी, गौरीशंकर सुथार, उप महा प्रबन्धक, एसएलडीबी उपस्थित रहे। प्रबन्ध निदेशक, एसएलडीबी ने रजिस्ट्रार एवं सभी सचिवों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राज्य के दीर्घकालीन सहकारी साख ढांचा को सुदृढ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
डॉ. पवन मंगलवार को शासन सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग के जरिये सम्बन्धित जिला मुख्यालयों से राज्य के 36 प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के सचिवों के साथ समीक्षा कर रहे थे। ऋणमाफी के उपरान्त शेष रहे अवधिपार मामलों में तथा चालू मांग की वसूली जून, 2019 में लक्ष्यानुसार नहीं किये जाने एवं गलत ऋण वितरण करना पाये जाने की स्थिति में सम्बन्धित सचिवों की जिम्मेदारी तय करते हुए उनके विरूद्व अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
रजिस्ट्रार ने राजस्थान कृषक ऋणमाफी (दीर्घकालीन) योजना की अब तक की प्रगति को गम्भीरता से लेते हुए शेष मामले ऋणमाफी पोर्टल पर यथाशीघ्र अपलोड किये जाकर सभी पात्र किसानों को लाभान्वित करने के निर्देष दिये। उन्होंने कहा कि ऋणमाफी के बाद ऐसे बैंक भी ऋण वितरण के लिए पात्र हो सकेंगे जिनकी वसूली 25 प्रतिशत से कम होने के कारण नाबार्ड से पुनर्वित्त नहीं मिलता था अतः अब नये ऋण वितरण मामलों में सही अप्रेजल करते हुए वितरण योग्य ऋणों की सूचना निर्धारित प्रपत्र में प्रधान कार्यालय, जयपुर को भिजवाते हुए ऋण वितरण किया जाए।
उन्होंने निर्देश दिये कि जिन मामलों में ऋणमाफी नहीं हुई है यथा - अकृषि/ग्रामीण आवास ऋण मामलों में तथा कृषि क्षेत्र के विलफुल एवं सुदृढ आर्थिक स्थिति वाले डिफाल्टर्स से अवधिपार ऋणों की वसूली के लिए जून माह में परिणामों से अवगत करायें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि सर्वाधिक अवधिपार बकाया वाले 30 अवधिपार ऋणियों की सूची बनाकर सचिव स्वयं वसूली करके प्रगति से प्रतिमाह अवगत करायेंगे।
वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग के दौरान जी. एल. स्वामी, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (द्वितीय) एवं राजीव लोचन, प्रबन्ध निदेशक, एसएलडीबी ने भी सचिवों से चर्चा की तथा इस दौरान दुर्गालाल बलाई, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मोनेटरिंग) एवं नवीन शर्मा, महा प्रबन्धक, एसएलडीबी, गौरीशंकर सुथार, उप महा प्रबन्धक, एसएलडीबी उपस्थित रहे। प्रबन्ध निदेशक, एसएलडीबी ने रजिस्ट्रार एवं सभी सचिवों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राज्य के दीर्घकालीन सहकारी साख ढांचा को सुदृढ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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