बूंदी के चावल एवं केरल के मसाला उत्पाद बने विशेष आकर्षण के केन्द्र
जयपुर, 14 मई। रजिस्ट्रार, सहकारिता डाॅ. नीरज के. पवन ने बताया कि राष्ट्रीय सहकार मसाला मेला, 2019 का आयोजन सहकारिता विभाग का एक अनूठा प्रयास है जिसके माध्यम से हम शुद्ध मसालों एवं खाद्य पदार्थों को आमजन की रसोई तक पहुंचा कर वर्तमान एवं आगे की पीढ़ी के स्वास्थ्य को समृद्ध बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मेले के माध्यम से हम एक ही छत के नीचे प्रदेष के सभी क्षेत्रों के साथ-साथ केरल, तमिलनाड़ु, पंजाब जैसे राज्योें के विषिष्ट मसालों एवं उत्पादों को पूर्ण शुद्धता के साथ उचित मूल्य पर उपलब्ध करा रहे हैं।पवन ने मंगलवार को मेले का विजिट करते हुये कहा कि सहकारिता का मूल उद्देष्य आमजन को गुणवत्तापूर्ण एवं विष्वसनीय सेवाओं के माध्यम से सहकारिता की भावना को साकार करना है। उन्होंने कहा कि भविष्य में और नवाचारों के माध्यम से राज्य में सहकारिता एक विषिष्ट पहचान कायम करेगा। पवन ने इस मौके पर मसाला विक्रेताओं एवं उपभोक्ताओं से मिलकर मेले का फीडबैक भी लिया।
प्रबंध निदेषक उपभोक्ता संघ के संजय गर्ग ने बताया कि मेले में जयपुरवासियों द्वारा अपनी आवष्यकता के अनुसार मसालों एवं अन्य उत्पादों की खरीद की जा रही है। उन्होंने बताया कि मेले में प्रतिदिन औसतन 12 से 15 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई है और पांच दिनों में 60 लाख से अधिक मूल्य के मसालों की बिक्री हो चुकी है। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को रोजाना लकी ड्रा निकाला जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मेले में लोगों को बूंदी का चावल जिसे राजस्थान का बासमती चावल भी कहा जाता है, बहुत लुभा रहा है। गृहणियां विषेष तौर बूंदी के इस बासमती चावल की खरीददारी कर रही हैं। मेले में केरल से आई मार्कफैड के स्टाॅल पर काली मिर्च, इलायची, लोंग, बड़ी इलायची, जावित्री, काजू, दालचीनी सहित केरल राज्य के विषेष उत्पाद लोगों के मन को भा रहे हैं।
मेले में अलग-अलग दिनों में राजस्थान की कला एवं संस्कृति को समृद्ध बनाने वाले लोक उत्सव भी आयोजित किये जा रहे हैं। मंगलवार को मारवाड़ के लंगा लोक कलाकारों ने प्रस्तुुति के माध्यम से लोगों का दिल जीत लिया।
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