जयपुर। राज प्राप्ति के लिए भाजपा देश के किसानों को पत्तल की तरह मानती है जिसे भोजन करने के उपरांत कचरेदान में डालते हैं ! इसी तर्ज पर भाजपा ने लोकसभा चुनाव का घोषणा पत्र भलाई करने के नाम पर किसानों को ऋणचक्र मे फ़साने के लिए षडयंत्र के रूप मे भूल भुलैया जैसा तैयार किया है ! इसीलिए डॉक्टर ऍम.एस. स्वामीनाथन के अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग की कृषि उपजो के लागत से डेढ़ गुना दाम देने की अनुशंसा को 11 वर्ष बाद भी घोषणा पत्र में स्थान नही दिया ! उल्लेखनीय है कि देश की स्वतंत्रता के उपरांत पहली बार 2004 में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग ने अपना प्रतिवेदन 2006 में भारत सरकार को प्रस्तुत कर दिया था ! जिसमे देश की खाद्य सुरक्षा तथा आर्थिक मजबूती के लिए कृषि और किसानों को बचाने के लिए किसानों की आय, सिविल कर्मचारियों से तुलना योग्य बनाने हेतु कृषि उपजो की लागत से डेढ़ गुना दाम देने की अनुशंसा थी! इसी को दृष्टिगत रखते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2014 के लिए घोषणा पत्र में कृषि उपजो के डेड गुना मूल्य निर्धारण का वायदा किया था ! तब भी मोदी सरकार के कार्यकाल में कृषि उपजो के दाम 70 प्रतिशत तक कम हो गये तथा व्यापारिक शर्ते कृषि क्षेत्र के विरुध रही ! खाद्य तेल एवं दालो के आयात मे बेतहाशा वृद्धि के कारण दलहन एवं तिलहन के किसानों को उत्पादन खर्च भी प्राप्त नहीं हुआ, ताहम मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का गीत अलापती रही रही इससे रोम जलता रहा और नीरो बांसुरी बजाता रहा लोकोक्ति चरितार्थ हुई !
राष्ट्रीय किसान आयोग की अनुशंसा उसकी प्रस्तावित तिथि 15 अगस्त 2007 से लागू करने के लिए देश के 211 किसान संगठनों के नेतृत्व में देश का किसान मोदी सरकार के कार्यकाल में अपनी कमाई छोड़ कर लड़ाई लड़ता रहा तब भी उनके कानों पर जूं नहीं रेंगी ! इस अनुशंसा के आधार पर किसानों को कृषि उपजो के दाम लागत से डेढ़ गुना मिल जाएंगे तब किसान ऋण दाता बन जाएगा, फिर उसे सरकार, संस्था या किसी बोहरा से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी ! सरकार की मन्शा किसानो को ऋणदाता बनाकर उन्हें खुशहाल बनाने की नहीं है ! इस कारण ही 2014 में मोदी सरकार बनते ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो पर राज्यों द्वारा देय बोनस को रोक दिया जिस से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान जेसे राज्यों मे 1 क्विंटल गेहू पर किसानो को 150 से 200 रुपये तक कम प्राप्त हुए! दूसरी ओर सबसे अधिक जोखिम वाले इस कृषि क्षेत्र में सरकारजोखिम भी वहन करने को तैयार नहीं हुई, उसने 2010 में 4 मुख्यमंत्रीयो की हुडा समिति की अनुशंसा के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रति हेक्टेयर 25000 रुपये सहायता देने की भी घोषणा पत्र मे चर्चा नहीं की ! घोषणा पत्र में किसानों को एक लाख रुपये तक बिना ब्याज ऋण देने का ढोल पीटा जा रहा है जबकि नियत समय पर भुगतान करने पर ब्याज मुक्त ऋण योजना पूर्व से ही अस्तित्व में है !
इसी प्रकार पूर्व में घोषित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में 1 दिन में किसान परिवार के एक सदस्य को 3.33 रुपए दिए जाने का प्रावधान है उससे एक कप चाय या एक रोटी भी नहीं आती है ! देश के किसान इस झोली फैलाने वाली योजना को सम्मान नहीं अपमान मानकर पूर्व मे ही बर्खास्त कर चुके हैं ! किसानो को भीख नहीं अधिकार देने के संबंध में घोषणा पत्र मे उल्लेख होता तो किसानों के मन को छूती ! अच्छा हो सरकार किसानो को भूल भुलैया मे रख कर उनके लिए घोषणा करने का दिखावा नही करे !
राष्ट्रीय किसान आयोग की अनुशंसा उसकी प्रस्तावित तिथि 15 अगस्त 2007 से लागू करने के लिए देश के 211 किसान संगठनों के नेतृत्व में देश का किसान मोदी सरकार के कार्यकाल में अपनी कमाई छोड़ कर लड़ाई लड़ता रहा तब भी उनके कानों पर जूं नहीं रेंगी ! इस अनुशंसा के आधार पर किसानों को कृषि उपजो के दाम लागत से डेढ़ गुना मिल जाएंगे तब किसान ऋण दाता बन जाएगा, फिर उसे सरकार, संस्था या किसी बोहरा से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी ! सरकार की मन्शा किसानो को ऋणदाता बनाकर उन्हें खुशहाल बनाने की नहीं है ! इस कारण ही 2014 में मोदी सरकार बनते ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो पर राज्यों द्वारा देय बोनस को रोक दिया जिस से मध्यप्रदेश एवं राजस्थान जेसे राज्यों मे 1 क्विंटल गेहू पर किसानो को 150 से 200 रुपये तक कम प्राप्त हुए! दूसरी ओर सबसे अधिक जोखिम वाले इस कृषि क्षेत्र में सरकारजोखिम भी वहन करने को तैयार नहीं हुई, उसने 2010 में 4 मुख्यमंत्रीयो की हुडा समिति की अनुशंसा के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के लिए प्रति हेक्टेयर 25000 रुपये सहायता देने की भी घोषणा पत्र मे चर्चा नहीं की ! घोषणा पत्र में किसानों को एक लाख रुपये तक बिना ब्याज ऋण देने का ढोल पीटा जा रहा है जबकि नियत समय पर भुगतान करने पर ब्याज मुक्त ऋण योजना पूर्व से ही अस्तित्व में है !
इसी प्रकार पूर्व में घोषित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में 1 दिन में किसान परिवार के एक सदस्य को 3.33 रुपए दिए जाने का प्रावधान है उससे एक कप चाय या एक रोटी भी नहीं आती है ! देश के किसान इस झोली फैलाने वाली योजना को सम्मान नहीं अपमान मानकर पूर्व मे ही बर्खास्त कर चुके हैं ! किसानो को भीख नहीं अधिकार देने के संबंध में घोषणा पत्र मे उल्लेख होता तो किसानों के मन को छूती ! अच्छा हो सरकार किसानो को भूल भुलैया मे रख कर उनके लिए घोषणा करने का दिखावा नही करे !
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