आईएएस एसोसिएशन लिटरेरी सोसायटी का कार्यक्रम
इतिहासकार एवं लेखिका डाॅ. लिडल ने दिल्ली का बताया इतिहास
टेक्नोहब में आयोजित इस कार्यक्रम में डाॅ. लिडल ने तस्वीरों के माध्यम से दिल्ली के 300 वर्ष पुराने इतिहास को बयां किया। उन्होंने अपनी रचनाओं में पुराने दिल्ली एवं वर्तमान दिल्ली के स्वरूप का तुलनात्मक ढंग से अध्ययन कर उसके वैज्ञानिक स्वरूप को तस्वीरों के माध्यम से प्रकट करते हुए मनोरंजक ढंग से कहानी का रूप दिया है।
डाॅ. लिडल ने दिल्ली के ऐतिहासिक धरोहर के प्राचीनतम एवं दुर्लभ चित्रों को दर्षाते हुए 1857 का मानचित्र, पुरानी पेंटिग्स, यमुना नदी से होने वाले परिवहन, चांदनी चैक व कनाट प्लेस के उद्भव से लेकर उनके वर्तमान स्वरूप, मुगल काल की प्रषासनिक व्यवस्था, वास्तुकला, लाल किला, दीवाने आम, दीवाने खास, तख्ते ताउस, लोधी गार्डन, जैन टेम्पल, राष्ट्रपति भवन, जाॅर्ज पंचम् का बुत, पुराने किले में पक्के बाजार, शरणार्थी केम्प, वर्तमान लुटयन्स जोन, रायसिना हिल्स इत्यादि प्राचीन धरोहरों के इतिहास को रौचकता के साथ संजोया है।
एसोसिएशन की लिटरेरी सेक्रेटरी मुग्धा सिन्हा ने कहा कि डाॅ. लिडल ने दो दषकों तक शोध के द्वारा ऐतिहासिक एवं अकादमिक पुस्तक की रचना की है, जो इतिहास का अध्ययन करने वालों के लिये बहु उपयोगी है। उन्होंने कहा कि लेखिका ने जयपुर और दिल्ली की वास्तुकला में संबंध को बेहतरीन ढंग से बताया है और जिससे कोई भी व्यक्ति आसानी से इन्द्रप्रस्थ से लेकर वर्तमान दिल्ली तक की विकास गाथा को समझ सकता है। उन्होंने कहा कि डाॅ. लिडल ने दोनों कृतियों को इतिहास की सामान्य जानकारी रखने वाले आम व्यक्ति तथा अकादमिक रूप से इतिहास का अध्ययन करने वाले छात्रों के लिये दिल्ली के समृद्ध इतिहास और मुगलों तथा अंग्रेजों के जमाने के किस्सों को प्रमाणिक तरीके से प्रस्तुत किया है।
जयपुर के साहित्य प्रेमियों के लिए आयोजनों की कड़ी में आईएएस ऐसोसियेषन का यह तीसरा कार्यक्रम था। कार्यक्रम के दौरान अर्पणा आंध्रे, क्यूरेटर सिटी प्लेस म्यूजियम, जयपुर ने डाॅ. लिडल से उनकी रचनाओं पर संवाद किया तथा पुस्तक के अनछुये पहलुओं पर चर्चा की। कार्यक्रम में वरिष्ठ आईएएस, आरएएस, लेखा सेवा एवं बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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