5 दिवसीय होगें कार्यक्रम, मंदिरों में गुजेगें घण्टे-घडियाल
संस्कृति युवा संस्था के अध्यक्ष एवं नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के संरक्षक सुरेश मिश्रा ने बताया कि 2 अप्रेल से 6 अप्रेल तक 5 दिवसीय विभिन्न कार्यक्रम नवसंवत्सर उत्सव के रूप में आयोजित किये जायेगें। जिसमें 3 अप्रेल को नवसंवत्सर के स्वागत के लिये चार सफेद अश्व छोडे जायेगें। ये अश्व वास्तु के हिसाब से आठ दिशाओ में ईशान में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पष्चिम में हाथोज हनुमानजी, वायव्य में कदम्ब डूंगरी व उत्तर में आमेर में काले हनुमान मंदिर जी के लिये छोडे जायेगें और नवसंवत्सर का अनूठे तरीके से प्रचार-प्रसार करेगें। भारतीय संस्कृति और नवसंवत्सर का प्रचार करने के लिये यह श्वेत अश्वजयपुर शहर के सभी प्रमुख स्थानों से होते हुये मंदिरो में जायेगें।
मिश्रा ने बताया कि एक जमाने में अश्व छोडने की परम्परा थी उसके माध्यम से राजा लोग अपने साम्राज्य का विस्तार करते थे। लेकिन हम जयपुर में यह अनूठा एवं अदभूत आयोजन इस लिये कर रहे है कि जयपुर की लगभग पुरी आबादी को नवसंवत्सर के प्रति जागरूक किया जा सके। इस बहाने युवाओं में कौतूहल एवं जाग्रति आयेगी।
नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति के अध्यक्ष पवन शर्मा ने बताया कि इन सभी श्वेत अश्वो की विधिवत पूजन विद्वानों द्वारा वैदिक रीति से किया जायेगा। इस अवसर पर जयपुर के विभिन्न मंदिरों के संत-महंत और राजनीतिक, सामाजिक, व्यापारी उपस्थित रहेगें । ये अश्व बडी चैपड, बाइजी के मंदिर से कल सुबह 10ः30 बजे रवाना होगें।
ये अश्व 3 दिन तक आठों दिशाओ में जब घुमेंगें तो इनके साथ में समिति के कार्यकर्ता पम्पलेट बांटते हुये चलेगें साथ ही इन अश्वो पर बैनर लगे होंगे जिन पर ‘‘नवसंवत्सर 2076 मंगलमय हो,’’ ‘‘ नवसंवत्सर 2076 की हार्दिक शुभकामनाओ’’ के बैनर लगे होगें। विशेषकर युवाओं से आग्रह करेगें कि भारतीय नवसंवत्सर को धूमधाम से आयोजित करें। साथ ही इसबार विभिन्न एसएमएस, व्हाट्सअप मैसेज, होर्डिंग बैनर लगाकर पुरे जयपुर शहर में लोगो से आग्रह करेगें कि नवसंवत्सर की बधाईयां दे।
महामंडलेश्वर मंहत पुरूशोत्तम भारती ने बताया कि 6 अप्रेल को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घण्टे-घडियाल बजाकर नवभोर का स्वागत होगा एवं शाम को बडी चैपड लक्ष्मीनारायण मंदिर में महाआरती का आयोजन किया जायेगा।
पवन शर्मा ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के हिसाब से नववर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन युवा वर्ग को अपने संस्कारों से परिचय हो इसलिये इसबार के आयोजन में युवाओं की अधिकाधीक प्रतिभागीता हो इसके लिये प्रचार किया जा रहा है। इसके लिये ‘‘नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति’’ का भी गठन किया गया है। ये समिति जयपुर शहर में विभिन्न मंदिरो में 6 अप्रेल से 14 अप्रेल तक विशेष पूजन एवं दीप आरती का आयोजन भी करेगी। नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति की ओर से 1100 कन्याओं का कन्या पूजन भी किया जायेगा।
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