- आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने 12 मार्च 2019 को उद्घाटक कार्यक्रम का आयोजन किया और इसके साथ ही गीएलओएचएमटी कॉन्फ्रेंस के दूसरे चरण की शुरुआत की गई।
- इसके माध्यम से मेडिकल टूरिज्म के विभिन्न पहलुओँ के संदर्भ में जानकारी मिली, उन्हेँ यह पता चला कि तकनीक व नियम सम्बंधी परिदृश्य क्या है, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल का क्या पहलू है और मेडिकल टूरिजम की बेहतरीन रूपरेखा क्या है।
- मेडिकल टूरिज्म में भारत की स्थिति के बारे में बात की गई, जिसमेँ आध्यात्मिक परिदृश्य की भूमिका को भी सामने रखा गया।
कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वालोँ को प्राथमिक सत्र, पैनल डिस्कशन, और पेपर प्रजेंटेंशन जो कि 7 मार्च 2019 से लेकर 13 मार्च 2019 के बीच प्रस्तुत किए गए के माध्यम से मेडिकल टूरिज्म के विभिन्न पहलुओँ के संदर्भ में जानकारी मिली, उन्हेँ यह पता चला कि तकनीक व नियम सम्बंधी परिदृश्य क्या है, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल का क्या पहलू है और मेडिकल टूरिजम की बेहतरीन रूपरेखा क्या है।
आईआईएम कोझीकोड में इस कॉन्फ्रेंस के पहले चरण की शुरुआत 7 मार्च 2019 को हुई थी और यहाँ 10 मार्च 2019 को इसका समापन किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम में सेंटर फॉर माइंडफुलनेस, वेलनेस और एथिक्स की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. पृथ्वी राज, आईएएस, सचिव (फाइनांस),राजस्थान सरकार और माननीय मुख्य अतिथि गुरुदेव अमृत देसाई, फाउंडर, अमृत योग संस्थान और कृपालु सेंटर, यूएसए द्वारा की गई। डॉ. पंकज गुप्ता, प्रेसिडेंट आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी और डॉ. डी.एस. गुप्ता, चेयरमैं, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने कार्यक्रम को बेहद गर्मजोशी के साथ सम्बोधित किया।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर के प्रेसिडेंट डॉ. पंकज गुप्ता ने कहा कि, “हमेँ अपने क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियोँ को इस कॉन्फ्रेंस में पाकर बेहद प्रसन्नता हो रही है। पहले जहाँ पश्चिमी देशोँ में मेडिकल टूरिज्म काफी विस्तार ले रहा था लेकिन आज के समय में भारत इस मामले में सबसे आगे है, वह भी सिर्फ मेडिकल टूरिज्म ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक हीलिंग के मामले में भी। यह तथ्य इस बात का आईना है कि किस प्रकार से हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो रही हैं। यह सफलता सभी सम्बंधित संस्थाओँ की सन्युक्त कोशिशोँ का नतीजा है, जिसमेँ सरकार, मेडिकल समुदाय और दुनिया भर के नागरिक शामिल हैं, जो एक साथ मिलकर स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव को मूर्त रूप देते हैं। इस कॉन्फ्रेंस को बेहद सावधानी से योजनाबद्ध किया गया था ताकि सभी सम्बंधित मुद्दोँ पर चर्चा की जा सके।“
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर के चेयरमैन डॉ. एसडी गुप्ता कहते हैं, “अब वैश्विक स्वास्थ्य के कारकोँ में तेजी आ रही है क्योंकि अत्याधुनिक प्रैक्टिशनर, पुराने आत्यात्मिक सलाहकार/गुरू और मैनेजमेंट से जुडे तमाम लोग साथ मिलकर स्वास्थ्य की बेहतरी की दिशा में काम कर रहे हैं। वैश्विक स्वास्थ्य अब जन स्वास्थ्य प्रोफेशनल के अपने प्राथमिक दायरे से आगे बढते हुए एक अंतरदेशीय, इंटर-डिसिलिनरी क्षेत्र बन चुका है जिसके लिए बडे परिदृश्य की जरूरत होती है। अब इसे किसी एक खास बीमारी तक सीमित रखना बडे उद्देश्योँ के साथ अन्याय जैसा होगा। स्वास्थ्य क्षेत्र अब देशोँ की सीमाओँ को पार करते हुए एक वैश्विक यूनि में तब्दील हि चुका है और एक संकलित रूप में इसे देखने के लिए और वृहद दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।“
डॉ. पृथ्वी राज, आईएएस, सेक्रेटरी (फाइनांस), राजस्थान सरकार, ने कहा कि, “प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का विस्तार हो रहा है। पुराने ढर्रे की कार्यशैली से खुद को बदलते हुए अब आधुनिक परिदृश्य मूर्त रूप ले रहे हैं, जिसमेँ वैश्विक स्तर पर प्रचलित तरीकोँ से सीखने की जरूरत होती है। यह बदलाव हर तरह से सकारात्मक है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप देश प्रशिक्षित जन बल की कमी को दूर करने और जागरूकता कार्यक्रमोँ के जरिए स्वास्थ्य के लक्ष्य को हासिल करने में अग्रसर हो रहा है।“
गुरुदेव अमृत देसाई, संस्थापक, अमृत योग संस्थान और कृपालु सेंटर, यूएसए ने कहा कि, “एक सूक्ष्म स्तर से लेकर स्वास्थ्य को वैश्विक स्तर तक ले जाना महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत स्तर तक सम्पूर्ण स्वास्थ्य सुनिश्चित करना होना चाहिए। मस्तिष्क के विकास और इसके शरीर का संतुलन बनाए रखने की दिशा में इसके हिस्सोँ की सक्रियता हमारे भीतर से आती है; इसके लिए आध्यात्मिकता बेहद महत्वपूर्ण है जो सम्पूर्ण स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में अपनी अहम भूमिका निभाती है।“
सात दिनो तक चले इस कॉन्फ्रेंस में विभिन्न मुद्दोँ पर चर्चा की गई, जिसमेँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका, ऐक्रेडिटेशन, क्षमता व लीडरशिप विकास, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल अर्थव्यवस्था, वैश्विक स्वास्थ्य में आविष्कारोँ की भूमिका, मेडिकल टूरिज्म सम्बंधी प्रबंधन व योजनागत परिदृश्य, कचरा निस्तारण आदि विषयोँ को शामिल किया गया।
ग्लोबल हेल्थ एंड मेडिकल टूरिज्म कॉन्फ्रेंस ने जहाँ खुली परिचर्चाएँ भी आमंत्रित कीँ वही बेहद ज्ञानवर्धक तकनीकी सत्रोँ का आयोजन भी किया गया, जिसमेँ प्रमुख मुद्दोँ पर बेहद व्यवस्थित जानकारी रखने वाले विशेषज्ञोँ ने अपनी बात रखी और रिसर्च आधारित तथ्योँ को भी सामने रखा गया।
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